अक्षय पात्र रसोई अवसंरचना

अक्षय पात्र फ़ाउंडेशन भारत के 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 51 रसोई पर प्रचालन करता है।


केन्द्रीयकृत रसोईयाँ विशाल रसोई इकाईयाँ हैं जिनके पास आमतौर पर 1,00,000 बच्चों तक के लिए भोजन पकाने की क्षमता होती है। ये रसोईयाँ इकाई के आस-पास स्थित कई विद्यालयों के समुच्चय को सेवा देती हैं। ये स्वचालित हैं अतः भोजन पकाने की प्रक्रिया के दौरान स्वच्छता सुनिश्चित है। दूसरी ओर, ऐसे स्थानों पर जहाँ कठिन भौगोलिक भूभाग एवं अनुपयुक्त सड़क संयोजकता जैसे कारक विशाल अवसंरचना के निर्माण को समर्थित नहीं करते, वहाँ विकेन्द्रीकृत रसोई प्रारूप आदर्श समाधान होता है। इन रसोईयों को Akshaya Patra के रसोई प्रक्रिया एवं प्रचालन मॉड्यूल के मार्गदर्शन एवं पर्यवेक्षण के अन्तर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) द्वारा संचालित किया जाता है।

अक्षय पात्र रसोईयों ने सिक्स सिग्मा क्रियापद्धति को अपनाया है


केन्द्रीयकृत इकाईयों में सुबह-सुबह ही भोजन पकाने का कार्य आरम्भ हो जाता है। संगठन द्वारा संचालित सभी रसोईयाँ एक समय-सारणीबद्ध भोजन-सूची का पालन करती हैं। सभी केन्द्रीयकृत रसोईयाँ देगचियों/कड़ाहियों, ट्रॉली, राइस शूट, दाल/सांभर टैंक, कटिंग बोर्ड, चाकुओं एवं इसी प्रकार के अन्य उपकरणों से सुसज्जित हैं जिन्हें उपयोग से पहले स्वच्छ किया जाता है। उत्तर भारतीय रसोईयाँ चावल की देगचियों/कड़ाहियों एवं दाल की देगचियों/कड़ाहियों से सुसज्जित होती हैं। चावल की प्रत्येक देगची की क्षमता कम-से-कम 500 लीटर की है और दाल की प्रत्येक देगची की क्षमता 1,200 से 3,000 लीटर दाल पकाने की है। चूंकि रोटी, उत्तर-भारतीय भोजन-सूची का अभिन्न भाग है, रसोईयों को रोटी बनाने वाली मशीनों से सुसज्जित किया गया है जिनकी क्षमता 6,000 किग्रा गेहूँ के आटे से अधिकतम 2,00,000 रोटियाँ तैयार करने की  है।


दक्षिण भारतीय रसोईयाँ चावल की देगचियों और सांभर की देगचियों से सुसज्जित हैं। चावल की प्रत्येक देगची की क्षमता कम-से-कम 500 लीटर की है और सांभर की प्रत्येक देगची की क्षमता 1,200 लीटर से 3,000 लीटर सांभर  पकाने की है। सभी पात्र स्टेनलैस स्टील 304 फ़ूड ग्रेड सामग्री के हैं।

कच्चे माल की अधिप्राप्ति के दौरान गुणवत्ता आश्वस्ति

एसक्यूएमएस प्रक्रिया, आपूर्तिकर्ता चयन, आपूर्तिकर्ता अर्हता, आपूर्तिकर्ता रेटिंग आदि जैसी उप-प्रक्रियाओं को कवर करती है जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सही और सर्वश्रेष्ठ कच्चे माल की ही अधिप्राप्ति की जाए। हमारी गुणवत्ता नियन्त्रण प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि कच्चे माल को विस्तृत गुणवत्ता निरीक्षण के पश्चात् ही स्वीकार किया जाए ताकि हमारे कच्चे माल के विनिर्देशों की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति हो। हमारे इन विनिर्देशों को सामन्यतः खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 (एफ़एसएसए) से लिया एवं अपनाया गया है।

कच्चे माल का भंडारण, उपयोग एवं परिरक्षण


ताज़ी सब्ज़ियों को दैनिक आधार पर अधिप्राप्त किया जाता है। अधिप्राप्ति के बाद, सर्वोत्तम गुणवत्ता के प्रतिधारण के लिए सब्ज़ियों की छंटाई की जाती है। सभी सब्ज़ियों को पेयजल द्वारा साफ़ किया जाता है और कटाई की प्रक्रिया से पहले स्वच्छ बनाया जाता है। ताज़गी कायम रखने के लिए, पकाने-के-लिए-तैयार कटी हुई सब्ज़ियों को शीत-गृह में रखा जाता है। चावल की आपूर्ति भारतीय खाद्य निगम (एफ़सीआई) द्वारा की जाती है। पकाने की प्रक्रिया से पहले, चावल को मशीन द्वारा साफ़ किया जाता है और अच्छी तरह से धोया जाता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सारा कच्चा माल ताज़ा हो, सभी रसोईयाँ भोजन बनाने के लिए कच्चे माल को जारी करने के लिए एफ़आईएफ़ओ (पहले अन्दर, पहले बाहर) और एफ़ईएफ़ओ (पहले अवसान (एक्स्पायरी) पहले बाहर) विधियों का पालन करती हैं।


ऐसा करके रसोईयाँ कच्चे माल की उचित ढंग से पहचान करने एवं उपयुक्त ढंग से उनका भंडारण करने और उन्हें पुनःप्राप्त करने में सक्षम बन जाती हैं।

भोजन पकाने के दौरान गुणवत्ता एवं सुरक्षा

अक्षय पात्र की सभी रसोईयाँ मध्याह्न-भोजन तैयार करने के लिए एक मानक प्रक्रिया का पालन करती हैं। इस प्रक्रिया को विधिवत् घोषित किया गया है जिससे पकाए गए भोजन की स्वच्छता एवं गुणवत्ता सुनिश्चित होती है और साथ ही खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन होता है। भोजन पकाने के समस्त उपकरण, जैसे कि देगचियों, ट्रॉलियों, राइस शूट एवं सांभर/दाल टैंकों, कटिंग बोर्ड, चाकुओं आदि को भोजन पकाने की प्रक्रिया शुरु होने से पहले भाप द्वारा विसंक्रमित किया जाता है। रसोईयों में प्रयुक्त पात्र 304 ग्रेड वाले स्टेनलैस स्टील से बने हैं और भोजन पकाने एवं उसकी सम्भाल के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं।

विकेन्द्रीकृत रसोईयाँ भोजन पकाने के आवश्यक उपकरणों, जैसे कि चपाती तवा, चावल एवं दाल पकाने के पात्र तथा पके हुए मध्याह्न-भोजन को विद्यालयों तक पहुंचाने के पात्र आदि से सुसज्जित हैं। स्वच्छता मानकों की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रसोई स्टाफ़ को नियमित तौर पर निजी स्वच्छता एवं खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण दिया जाता है।

सभी रसोईयों में सुप्रशिक्षित रसोईये एवं उत्पादन पर्यवेक्षक तैनात हैं जो उत्पादन का प्रबन्धन एवं पर्यवेक्षण करते हैं। भोजन की ही गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण नियन्त्रण बिन्दुओं (सीसीपी) जैसे कि भोजन पकाने का तापमान, को आवधिक अन्तरालों पर जांचा और अभिलेखित किया जाता है।

भोजन गुणवत्ता का अनुरक्षण सुनिश्चित करने के लिए, प्रत्येक रसोई में गुणवत्ता अधिकारियों द्वारा गुणवत्ता जांच की जाती है।

भोजन पैकेजिंग एवं परिवहन

पके हुए भोजन को भाप द्वारा विसंक्रमित किए हुए पात्रों में पैक किया जाता है। हम भोजन को स्टेनलैस स्टील 304 ग्रेड पात्रों में पैक करते हैं जिन्हें पहुंचाने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए एवं अनुकूलित परिवहन वाहनों द्वारा ले जाया जाता है। लोडिंग की प्रक्रिया से पहले वाहनों को भाप द्वारा विसंक्रमित किया जाता है। इन वाहनों की बॉडी फूली हुई होती है जिससे तापमान की हानि घटती है और इनकी संरचना मधुमक्खी के छत्ते जैसी होती है जिससे पात्र सीधे खड़े रहते हैं और बच्चों को भोजन परोसे जाने तक उसकी ताजगी बनी रहती है।

प्रदायगी

मार्ग इष्टतमीकरण के लिए सुप्रचलानिक (लॉजिस्टिक) चार्टिंग, सुरक्षा एवं समय पर प्रदायगी के लिए प्रदायगी वाहनों पर नज़र रखने के लिए जीपीआरएस जैसी विधियों को रसोईयों में शनैः शनैः अपनाया और क्रियान्वित किया जा रहा है।

प्रदायगी-पश्चात् प्रक्रिया

भोजन की गुणवत्ता को एकरूप बनाए रखने के लिए हम भोजन प्रदान करते समय दैनिक आधार पर विद्यालयों से प्रतिक्रियाएं लेते हैं। रसोईयों के गुणवत्ता अधिकारी प्रतिक्रिया की समीक्षा करते हैं और भोजन की गुणवत्ता एवं प्रदायगी में सुधार लाने के लिए उपयुक्त संशोधन अथवा सुधारात्मक कार्यवाहियाँ शुरु कर देते हैं। हम मध्याह्न-भोजन को परोसे जाने के दौरान खाद्य सुरक्षा एवं स्वच्छता पर जागरुकता का प्रसार करने के लिए सभी विद्यालयों में नियमित आधार पर ‘करें’ एवं ‘नहीं करें’ पर्चों का भी वितरण करते हैं।

मुख्य प्रक्रियाओं एवं प्रणालियों और उनके प्रदर्शनों पर नज़र रखने में ऑडिट एवं समीक्षा तन्त्र मुख्य भूमिका निभाते हैं। अतः हमने उत्तम विनिर्माण प्रक्रिया (जीएमपी) मासिक ऑडिट, खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता पर आकस्मिक ऑडिट आदि को संस्थागत कर लिया है। गुणवत्ता मीट्रिक्स प्रदर्शन की समीक्षा मासिक आधार पर की जाती है। भोजन की प्रदायगी के दौरान हम जो दैनिक प्रतिक्रिया लेते हैं उसके अलावा भी गुणवत्ता स्टाफ़ द्वारा आवधिक अन्तरालों पर विस्तृत ग्राहक सन्तुष्टि सर्वेक्षण किए जाते हैं। प्रमाणित रसोईयों में आईएसओ 22000 आन्तरिक ऑडिट, गुणवत्ता एवं एफ़एसएमएस प्रबन्धकों के नेतृत्व में सुयोग्य आन्तरिक ऑडिटरों द्वारा वर्ष में 2 बार किया जाता है और हमारा प्रमाणन निकाय वर्ष में दो बार निरीक्षण ऑडिट संचालित करता है। सभी सम्बन्धित ऑडिटों से प्राप्त आँकड़ों की समीक्षा की जाती है और उपयुक्त संशोधन अथवा सुधारात्मक कार्यवाहियाँ की जाती हैं। सभी कार्यवाहियों की आगे प्रभावी क्रियान्वयन हो जाते तक निगरानी की जाती है।

सतत् सुधार विधियाँ

चूंकि हम हमारे द्वारा प्रदत्त मध्याह्न-भोजन की गुणवत्ता को सतत् रूप से बनाए रखने के द्वारा हमारी सेवाओं को कायम रखने एवं उन्हें बेहतर बनाने का लक्ष्य रखते हैं, अतः यहाँ सतत सुधार आवश्यक है। हमें विभिन्न प्रक्रियाओं के प्रदर्शन को निरन्तर अग्रसर करने की आवश्यकता है ताकि सुधार का प्रत्येक चक्र, अगले उपलब्धि स्तर तक पहुंचा सके। हमने समग्रतावादी दृष्टिकोण अपनाते हुए ‘अक्षय प्रगति’ नामक एक कार्यक्रम अपनाया है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत हम काइज़ेन (बेहतरी हेतु बदलाव), सीआई परियोजनाओं एवं सिक्स सिग्मा क्रियाविधियों को अपना एवं क्रियान्वित कर रहे हैं ताकि प्रत्येक सदस्य को इन पहलों का भाग बनाना सुनिश्चित किया जा सके।

प्रशिक्षण, सतत् सुधार कार्यक्रम का एक अभिन्न अंश है। वित्त वर्ष 2012-13 में सभी स्थानों पर 6,000 से भी ज्यादा कार्य घंटों के लिए 5एस, जीएमपी, लीन (मितव्ययिता) एवं काइज़ेन तथा आईएसओ 22000 जागरुकता पर रसोई कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण संचालित किया गया। गुणवत्ता विभाग का वित्त वर्ष 2013-14 में इसी प्रकार के विषयों पर 15,000 कार्य घंटों का प्रशिक्षण संचालित करने का लक्ष्य है।

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